आखिर भगवान शिव को ही क्यों देवों के देव महादेव कहा जाता है ? Why Lord Shiva is called Mahadev

Why Lord Shiva is called Mahadev

“भगवान शिव को ‘महादेव’ क्यों कहते हैं?” Mahadev

Why Lord Shiva is called Mahadev

आखिर भगवान शिव को ही क्यों देवों के देव महादेव कहा जाता है

वैसे तो भगवान शिव के कई अनन्य नाम हैं जैसे कि नीलकंठ गंगाधर भोलेनाथ आशुतोष शंकर रुद्र उनको इन नामों से प्रार्थना करने का कई कारण है

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यूं तो भगवान शिव अनाद और अनंत हैं ना तो उनका जन्म हुआ है और ना ही उनका अंत होगा वह समय से परे हैं और उन्हें स्वयंभू भी कहा जाता है अर्थात जो स्वयं से प्रकट हुआ हो।

शिव से ही धर्म अर्थ काम और मोक्ष है शिव को ही देवों के देव महादेव कहा जाता है। उनको यह उपाधि देने का पीछे का कारण यह है कि चाहे वो देवता हो या फिर राक्षस सूर हो या फिर असुर सभी के द्वारा भगवान शिव का पूजा अर्चना की जाती है , यक्ष गंधर्व से लेकर पशु पक्षी और नागों तक सभी प्रकार के प्रजातियां तथा सभी प्रकार के शक्तियां भी भगवान शिव के अधीन हैं वह सभी के द्वारा पूजित हैं इसलिए उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है ।

Why Lord Shiva is called Mahadev
A visual representation detailing the reasons behind Shiva's title as the God of Gods in Hindu beliefs and traditions.

भागवान विष्णु और ब्रह्मा का जन्म Mahadev

एक अन्य कथा के माने तो ,शिव ही परम ब्रह्म के स्वरूप हैं उन्हीं से ही यह समग्र संसार का उत्पत्ति तथा लाखों ब्रह्मांड का रचना हुआ है , महर्षि वेदव्यास द्वारा रचा गया शिव पुराण लिंग पुराण और भविष्य पुराण के अनुसार जब पूरा संसार ही नहीं था संसार में केवल शून्य ही था ।

तब भगवान विष्णु प्रकट हुए थे और उनके नाभी कमल से ब्रह्मदेव का जन्म हुआ एक बार ब्रह्मा और भगवान विष्णु दोनों में सर्वोच्चता को लेकर लड़ाई हो गई तो बीच में काल रूपी एक स्तंभ आकर प्रकट हो गया,

तब दोनों ने पूछा – “प्रभु सृष्टि आदि पांच कर्तव्यों के लक्षण क्या है और हम दोनों का उत्पत्ति कैसे हुआ ”, तब ज्योतिर्लिंग रूपी काल ने ब्रह्मदेव को अपना आरंभ तथा भगवान विष्णु को अपना अंत खोजने के लिए कहे , दोनों थक गए परंतु उनको वह स्तंभ का आरंभ तथा अंत नहीं मिला तब भगवान विष्णु आकर वह स्तंभ रूपी महादेव से कहे कि -” हे प्रभु यह ज्योतिर्लिंग का कोई अंत नहीं है ” परंतु ब्रह्मदेव अहंकार वश यह झूठ बोले कि उन्होंने इसका आरंभ खोज निकाला,

तब उस काल रूपी ज्योतिर्लिंग से काल भैरव प्रकट हुए और उन्होंने भगवान ब्रह्मा का पांचवा सिर अपने नाखून से ही काट दिए क्योंकि उसी सिर से ही अहंकार का उत्पन्न हुआ और उनको श्राप दिए कि वह कभी भी किसी के द्वारा पूजित नहीं होंगे ।

उसके बाद ज्योतिर्लिंग रूप काल ने कहा – “पुत्रों तुम दोनों ने तपस्या करके मुझसे सृष्टि जन्म तथा स्थिति यानी पालन नामक दो कृत्य प्राप्त किए हैं इसी प्रकार मेरे विभूति स्वरूप रुद्र और महेश्वर ने भी दो अन्य उत्तम कृत्य प्राप्त किए हैं जिसे संघार तथा तिरोभाव अर्थात अकृत कहा जाता है परंतु अनुग्रह
नामक दूसरा कोई कृत पा नहीं सकता रुद्र और महेश्वर ने दोनों ही अपने कुर्ते को भूले नहीं हैं इसलिए मैंने उनके लिए अपनी समानता प्रदान की है”।

सदाशिव कहते हैं कि रुद्र और महेश्वर मेरे जैसे ही वाहन रखते हैं मेरे जैसे ही वेष धारण करते हैं और मेरे जैसे ही उनके पास अस्त्र शस्त्र है वे रूप वेष वाहन आसन और कुर्तियां में मेरे ही समान है ।

कितने प्रकार के देवता हैं ? Mahadev Mahadev

वेदव्यास रचित महाशिव पुराण के अनुसार हमारे यह ब्रह्मांड में मूलतः 11 रुद्र हैं हमारे सनातन धर्म में कुल 33 कोटि देवी देवता हैं 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के उनमें से पहले आते हैं 12 आदित्य 11 रुद्र आठ बशु और दो अश्विनी कुमार

तो आखिर यह 11 रुद्र की उत्पत्ति कैसे हुई ? Mahadev Mahadev

दरअसल अग्नि पुराण के अनुसार 11 रुद्र की माता-पिता महर्षि कश्यप और दक्ष पुत्री सुरभी थे

भगवान शिव ने दक्ष पुति सुरबी को उनके गर्भ से 11 रूपों में जन्म लेने की वरदान दिए थे

जय भोलेनाथ  जय श्रीराम

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