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Who Was Sheshnag’s Incarnation and How Powerful Was He ( Sheshnag )
धर्म ग्रंथों में शेषनाग के जन्म से लेकर भगवान विष्णु के सया बनने और अवतार लेने तक का विस्तृत से वर्णन है ,शेष नाग यानी सहस्त्र फनों वाले नाग ब्रह्मांड का पहला नाग इन्हें ही माना गया है क्योंकि सबसे पहले यही पैदा हुए थे ।
तो आखिर शेषनाग जिन्हें आदि शेष के नाम से भी जाना जाता है वह कितने शक्तिशाली थे और वह किनके अवतार थ,
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शेषनाग का माता पिता कौन थे ? Sheshnag
नागों की उत्पत्ति प्रजापति कश्यप के पत्नी कद्र से हुई थी जिन्होंने एक सहस्र नागों को अपने पुत्र के रूप में पाने की बर्दन प्राप्त किए थे । शेष नाग उनमें से सबसे बड़े पुत्र थे, शेषनाग की कथा इस प्रकार है कि ब्रह्मदेव की मानस पुत्र प्रजापति कश्यप के दो पत्नियां थी एक कद्र और दूसरी विनीता । कदरू ने सर्पों को जन्म दिया था वहीं विनीता से पक्षियों की उत्पत्ति हुई ।
क्योंकि कद्र और विनीता आपस में बहन थे तो कदरू को बचपन से विनीता से ईर्ष भाव था ,उन्होंने एक बार क्रीड़ा में विनीता को छल पूर्वक हरा दिया और उन्हें दासी बना लिया। जब आदिशेषा कि उनके माता एवं भाइयों ने मिलकर मौसी विनीता के साथ छल किए हैं तो ,वह बहुत दुखी हुए उन्होंने तभी से अपने मां और अपने भाइयों के साथ छोड़ दिए ।
फिर वह गंधमादन पर्वत पर जाकर तपस्या करने लगे शेषनाग
तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए और ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिए – “कि तुम्हारा बुद्धि धर्म से कभी विचलित नहीं होगी”। कालांतर में जाकर शेषनाग खीर सागर में पहुंचे थे जहां पर वह भगवान विष्णु की शयन की सेवा लिए ।
शेषनाग को भगवान विष्णु ने कहा – “कि पूरी पृथ्वी निरंतर हिलती ढलती रहती है अतः तुम अपने फन पर इस प्रकार
धारण करो कि यह स्थिर हो जाए”। कहा जाता है कि तभी से आदि शेष पूरे पृथ्वी का भार उठाए हुए हैं , और यह यह भी कहा जाता है कि ब्रह्मांड में जितने भी ग्रह नक्षत्र और सूरज हैं उन सभी को अपने सहस्त्र फनों पर उठाए हुए हैं और यहां तक कि विष्णु पुराण में वर्णन है कि पूरे ब्रह्मांड के भार को अपने फनों के शक्ति के सहारे संभाले हुए हैं ।
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An informative graphic depicting Sheshnag's incarnation and his immense power in mythology."
शेषनाग किसके अवतार थे ? Sheshnag Sheshnag
भगवान आदि शेष स्वयं श्री हरि नारायण के ही अवतार हैं, उनका वर्णन रामायण और महाभारत ऐसे कई पुराणों में देखने को मिलती है भगवान आदिशेषा भी था चार शक्तिशाली अवतार :-
- लक्ष्मण अवतार :- उन्होंने अपने पहला अवतार भगवान राम के अनुज लक्ष्मण के रूप में लिए थे ,जहां पर उन्होंने मेघनाथ जैसा अतिमहारथी योद्धा का वध किए थे ।
- बलराम अवतार :- उन्होंने अपने दूसरे अवतार भगवान श्री कृष्ण के बड़े भ्राता बलराम जी के रूप में लिए थे ,इनके बल और पराक्रम के बारे में अनेकों पुराणों में वर्णन मिलती है वे गदा युद्ध में विशेष प्रवण थे तथा उनके शिष्य महाबली भीमसेन और दुर्योधन थे ।
- महर्षि पतंजलि :- महर्षि पतंजलि भी भगवान शेषनाथ का ही अवता माने जाते हैं उन्होंने यह अवतार कलयुग के प्रारंभ में लिए थे।
- श्री रामानुजाचार्य :- विष्णु पुराण और पद्म पुराण के अनुसार कलयुग में आदि शेष ने रामानुजाचार्य के नाम से और एक अवतार भी लिए थे ।
हिंदू धर्म शास्त्रों में उनको अनेका अनेक नाम से पूजा किया जाता है ,इन्हें कद्रु नंदन ,अनंत ,आदि शेष ,कश्यप आदि कहा जाता है । धर्म ग्रंथों में कई अन्य नागों का भी वर्णन मिलता है जिनमें बासुकी ,तक्षक ,कालिया नाग ,संख्य ,कर्कोटक ,धनंजय
महापद्मा और पद्मा आदि शामिल हैं यह सभी शेषनाग छोटे भाई हैं।
भगवान शेषनाग को आदि शेष क्यों कहा जाता है ? Sheshnag Sheshnag
तो आखिर भगवान शेषनाग क्यों कहा जाता है आदि शेष शेष शब्द का अर्थ है अवशेष या फिर बचा हुआ अंश ,जिसे अंग्रेजी में कहा जाता है रिमाइंडर (remainder) आदि शेष शब्द का अर्थ है प्रथम शेष उन्हें कभी-कभी अनंत शेष अंतहीन शेष या आदि शेष के रूप में जाना जाता है ।
ओम नमः शिवाय हर हर महादेव