अर्जुन को गांडीव धनुष कैसे प्राप्त हुआ था ? How did Arjun get the Gandiva bow ?

Gandiva bow

अर्जुन का गांडीव धनुष ? arjuna

Arjuna’s Gandiva bow

महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष से कई सहस्त्र सैनिकों और महारती योद्धाओं को परास्त किए हैं दरअसल यह दिव्य गांडीव धनुष स्वयं परमपिता ब्रह्मदेव का धनुष है

पांडवों के पक्ष में केवल दो ही ऐसे योद्धा थे जो यह गांडीव धनुष को उठाने का सामर्थ्य रखते थे वह थे महावली भीम तथा महानायक अर्जुन इसी तरह अर्जुन के पास धनुष के साथ अक्षय तरकस भी था जिसमें से तीर कभी समाप्त नहीं होती थी

तो आखिर यह दिव्य धनुष अर्जुन को कैसे प्राप्त हुई किसने दिया था अर्जुन को यह गांडीव धनुष

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अर्जुन को गांडीव धनुष किसने दिया था ? arjuna Gandiva bow

अर्जुन को गांडीव धनुष प्राप्त होने का दो कथाएं प्रचलित है कहते हैं कि महार स दादी जी की हड्डी से यह धनुष का निर्माण किया गया था जबकि अन्य कथा के अनुसार यह कर्णम ऋषि की तपस्या के दौरान शरीर पर दीमक द्वारा बांबी बना दिए जाने के बाद उस बांबी से सुंदर और गठे बांस उगाए थे

जब कनव ऋषि की तपस्या पूर्ण हुई तो ब्रह्मदेव के सलाह पर
उस बांध से तीन धनुष का निर्माण हुआ पिनाक सारंग और गांव गांव धनुष वरुण देव के पास था जिसे उन्होंने अग्निदेव को दे दिए थे अग्निदेव ने अर्जुन को दिए थे जबकि एक दूसरे कथा के अनुसार खांडव वन में इंद्र पस्त बनाने के समय यह धनुष मायास सुर ने अर्जुन को देते हुए इसका इतिहास बताए थे

जो भी हो यह धनुष और इसका तरकस चमत्कारिक या फिर कहे दिव्य था अर्जुन के धनुष की प्रत्यंचा मात्र से ही पूरे युद्ध क्षेत्र गूंज उठता था इस धनुष का तरकस अक्षय था इस तरकस
के बाण कभी समाप्त नहीं होते थे


यह धनुष देव दानव तथा गंधर्व द्वारा अनंत वर्षों तक पूजित रहा है यह किसी शस्त्र से नष्ट नहीं हो सकता था तथा अन्य लाख धनुष का सामना कर सकता था जो भी इसे धारण करता था उसमें अनंत शक्ति का संचार हो जाता था

रथ पर सवार श्री कृष्णा और अर्जुन को देखने के लिए देवता भी स्वर्ग से उतर गए थे

गांडीव की विशेषताएँ

गांडीव धनुष की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इसे अन्य धनुषों से अलग बनाती हैं:

अपराजेय शक्ति: गांडीव से निकले बाण अत्यंत तीव्र और अचूक होते थे। यह धनुष किसी भी प्रकार की रक्षा प्रणाली को भेदने में सक्षम था।

अखंडता का प्रतीक: गांडीव कभी टूटता नहीं था और हर परिस्थिति में अर्जुन का साथ देता था।

दिव्य ध्वनि: जब अर्जुन गांडीव से बाण चलाते थे, तो इसकी प्रत्यंचा से निकलने वाली ध्वनि दुश्मनों में भय उत्पन्न कर देती थी।

असीम शक्ति: गांडीव के साथ अर्जुन को दो अक्षय तरकश भी प्राप्त हुए थे, जिनसे अनगिनत बाण निकाले जा सकते थे।

गांडीव की शिक्षाएँ

गांडीव धनुष हमें कई महत्वपूर्ण संदेश देता है:

दिव्य शक्ति का सही उपयोग: अर्जुन ने गांडीव का उपयोग केवल धर्म और न्याय के लिए किया।

कर्तव्य पालन का प्रतीक: यह धनुष हमें सिखाता है कि जीवन में अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए हमें समर्पित रहना चाहिए।

त्याग का महत्व: भले ही अर्जुन के लिए गांडीव बहुत प्रिय था, लेकिन समय आने पर उन्होंने इसे छोड़ दिया। यह त्याग हमें बताता है कि भौतिक वस्तुएँ स्थायी नहीं होतीं।

निष्कर्ष

गांडीव धनुष केवल एक शस्त्र नहीं था; यह अर्जुन की वीरता, समर्पण और धर्म का प्रतीक था। भारतीय संस्कृति में इसे एक आदर्श योद्धा के गुणों का प्रतीक माना गया है। अर्जुन और गांडीव की कहानी हमें सिखाती है कि शक्ति और ज्ञान का उपयोग हमेशा धर्म और न्याय के लिए करना चाहिए। इस प्रकार गांडीव धनुष भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं में सदैव अमर रहेगा।

हर हर महादेव बजरंग वाली

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