how was kali purusha born? कलिपुरुष का जन्म कैसा हुआ था, उसका माता पिता कौन थे ?

how was Kali purusha born

कलिपुरुष का जन्म कैसे हुआ था?

how was Kali purusha born? Kalki Kalki

कलयुग के अंत में भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्की का आगमन होगा उनके अपेक्षा में साक्षात भगवानों के अंत से प्रकट हुए सप्त चिरंजीवी आज भी इस धरा पर
जीवित हैं

भगवान विष्णु का कल्कि अवतार का होने का उद्देश्य इस धरा पर पापियों का नाश करना तथा कलयुग में राज करने वाला
असुर कलि पुरुष का अंत करना कलि पुरुष अत्यंत शक्तिशाली असुर है जो लोगों के मन विवेक धन और लोक पर नियंत्रण बनाए रखेगा ताकि वह धर्म के मार्ग को छोड़कर अधर्म करें
तो आखिर कली पुरुष का जन्म कैसे हुआ था कौन थे कली पुरुष का माता-पिता

तो नमस्कार मित्रों आप सभी को हमारी वेबसाइट प्राचीन सनातन युग पर स्वागत है

कली पुरुष एक नकारात्मक शक्ति यानी एक नकारात्मक ऊर्जा है जो कलयुग की विशेषता है जो कलयुग के हर
व्यक्ति पर अपना नियंत्रण बनाए रखा है ।

कलि पुरुष के माता पिता कौन थे ? Kalki Kalki Kalki Kalki

कल्की पुराण के अनुसार उसका जन्म राक्षसी क्रोध और हिंसा यानी ईर्ष भाव से हुआ था , अर्थात क्रोध और हिंसा के मिश्रण से ही कली पुरुष जैसा नकारात्मक शक्ति का उत्पत्ति हुआ है उसका रंग बहुत काला है और उसका रूप डरावना है वह शतरंज खेलने वेश्याओं और सोने के व्यापारियों के साथ
मौज मस्ती करने जैसा अधर्म कार्यों में लिप्त है

कलि पुरुष पूरे कलयुग में राज करेगा और लोगों के मन को प्रदूषित करता रहेगा

कहा जाता है कि जब ब्रह्मदेव ने अपने भीतर से सारी नकारात्मक शक्तियों को बाहर निकाल दिए थे तो वह समग्र नकारात्मक शक्तियां एक ही रूप में प्रकट हुए ब्रह्मदेव से निकलने के पश्चात कुल मिलाकर नकारात्मक शक्ति सबसे घिन ने अत्यधिक घृणित अशुद्ध और सबसे विचित्र देखने वाले
प्राणी के रूप में प्रकट हुई और वह था कली पुरुष नकारात्मक शक्तियों का अवतार ।

समुद्र मंथन के समय ही कली पुरुष का आगमन हुआ था जब महादेव कालकूट विष का पान रहे थे तो उसमें से कुछ बूंद कली पुरुष के ऊपर गिर गया जिसे कली पुरुष अधमरा हो गया परंतु तभी समुद्र से अमृत निकला अमृत के लिए देवताओं और असुर में लड़ाई हो गई

देवताओं और असुरों के बीच यह भयंकर लड़ाई तथा संघर्ष के परिणाम स्वरूप अमृत की कुछ बूंदे गिर पड़े अमृत छलक कर लगभग मृत कली पुरुष के ऊपर गिर पड़ा जिससे कली पुरुष अमर हो जाता है परंतु कालकूट विष ने उसका पूरा शरीर को जलाकर राख कर दिया था जिसे कली पुरुष शरीर हीन तथा निराकार हो जाता है और इसी तरह कलयुग नामक एक संपूर्ण युग युग तथा अवधि का निर्माण हुआ इस विशेष युग में निराकार कली पुरुष सभी के भीतर प्रवेश करता है और
उन सबसे कुकर्म करवाता है

राजा परीक्षित अर्जुन के पोते तथा अभिमन्यु के पुत्र उन्होंने भी कलि पुरुष को रोकने का प्रयास किया परंतु इसी प्रयास में असफल होकर वह भी कलि पुरुष के वश में आ गए थे
कहा जाता है कि कली पुरुष लंकापति रावण से भी सहस्त्र गुणा शक्तिशाली है जो मनुष्यों के द्वारा अधर्म करवाकर उनके शरीर में प्रवेश करता है जिसका वध करने हेतु सप्त चिरंजीवी कल्कि अवतर के सहायता करने वाले हैं और

कालकी पुराण के अनुसार कलयुग का यह महायुद्ध महाभारत के युद्ध से भी ज्यादा विध्वंस कररी होगा और भगवान कल्कि महादेव के तपस्या करके उनको प्रसन्न कर उनसे एक दिव्य तलवार तथा एक दिव्य घोड़ा प्राप्त करेंगे वह दिव्य अश्व के नाम देवदत्त होगा उनके पास एक मायावी तोता भी होगा जो भूतकाल वर्तमान और भविष्य देख सकता है

भगवान कल्की कली पुरुष का वध करके कलयुग का समाप्त कर सतयुग का आरंभ करेंगे

हर हर महादेव जय श्री हरि विष्णु

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