
6 Mysterious Temples of Lord Shiva
भगवान शिव की महिमा अपार और अनंत है , इसे समझ पाना किसी के बस की बात नहीं । ऐसा शास्त्रों में भी उल्लेख मिलती है भारत में करोड़ों महादेव मंदिर है जो किसी ना किसी चमत्कार के लिए प्रसिद्ध माना जाता है ।
तो आज हम आपको 6 ऐसे रहस्यमई भगवान शिव की मंदिरों के बारे में बताने वाले हैं ,
तो नमस्कार मित्रों आप सभी को हमारी वेबसाइट प्राचीन सनातन युग पर स्वागत है,
भगवान शिव की पहला अनोखी मंदिर है बिजली महादेव मंदिर Shiva
यह रहस्यमय मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुलू में स्थित है कुल्लू शहर में व्यास और पार्वती नदी के संगम स्थल के नजदीक एक पहाड़ पर भगवान शिव की यह प्राचीन मंदिर स्थित है । यहां हर 12 साल में एक बार शिवलिंग पर बिजली गिरती है बिजली गिरने के बाद शिवलिंग टूट जाती है ।
मंदिर के पुजारी शिवलिंग के अंशों मक्खन में लपेटकर रख देते हैं , भगवान शिव के चमत्कार से यह फिर से ठोस बन जाता है जिसे कुछ हुआ ही ना हो ।
नंबर दो पे आता है स्तंभेश्वर महादेव Shiva Shiva
गुजरात में बड़ोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के काबी कोबोई गांव का यह मंदिर अलग ही विशेषता रखता है । मंदिर अरब सागर के मध्य कबे तट पर स्थित है , इस तथ का उल्लेख है श्री महाशिव पुराण में रुद्र संगीता भाग दो अध्याय 11 पेज नंबर 358 में मिलता है इस मंदिर के 2 फुट व्यास के शिवलिंग का आकार 4 फुट ऊंचा है स्तंभेश्वर महादेव का मंदिर सुबह और श्याम दिन में दो बार के लिए पलभर के लिए गायब हो जाता है । यह ज्वार भाटा आने का कारण भी है ।
इस मंदिर से राक्षस तारकासुर और कुमार कार्तिकेय की कथा जुड़ी हुई है । सागर संगम तीर्थ पर विश्वानंद स्तंभ की स्थापना की गई थी , यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खास तौर से पर्चे बांटे जाते हैं जिसमें ज्वार भाटा आने का समय लिखा होता है ।

नंबर तीन पे आता है लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर Shiva Shiva
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की , स्थापना भगवान राम ने खर और दूषण के वध के पश्चात अपने भाई लक्ष्मण के कहने पर किए थे । इसकी स्थापना स्वयं आदि शेष के अवतार लक्ष्मण जी ने किए थे ।
इस शिवलिंग में 1 लाख छिद्र है इसलिए इसे लक्ष्य लिंग भी कहा जाता है । कहते हैं कि इस लाख छिद्रों में से एक छिद्र ऐसा भी है , जो कि पातल लोक गामी है क्योंकि उसमें जितने भी पानी डालो वह सब उसमें समा जाता है और एक छिद्र ऐसा भी है जिसमें जल हमेशा के लिए भरा रहता है जिसे अखय कुंड कहते हैं ।
नंबर चार पे आता है भोजेश्वर मंदिर Shiva Shiva
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किमी दूर भोजपुर रायसन जिला में भोजपुर की पहाड़ी पर स्थित है । यहां का शिवलिंग अद्भुत और विशाल है , यह भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है । इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण परमाण वंश के प्रसिद्ध राजा भोस द्वारा किया गया था ।
चिकने लाल बालवा पाषाण के बने शिवलिंग को एक ही पत्थर से बनाया गया था और यह विश्व का सबसे बड़ा प्राचीन शिवलिंग माना जाता है । कहते हैं कि यहां पहले साधुओं का एक समूह ने गहण तपस्या की थी ।

नंबर पांच पे आता है निष्कलंक महादेव Shiva Shiva
यह मंदिर गुजरात के भावनगर के कोलीयक तट से 3 किमी अंदर आरब सागर में स्थित है । प्रतिदिन आरब सागर की लहरें यहां की शिवलिंग का जला अभिषेक करती है , ज्वार भाटा जब शांत हो जाता है तब लोग पैदल चलकर इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं । ज्वार के समय सिर्फ मंदिर का ध्वज नजर आता है ।
कहते हैं कि यह मंदिर महाभारत कालीन है और जब युद्ध के बाद पांडवों को अपने ही कुल के लोगों को मारने का पस्तावा हुआ और वे इस पाप से छुटकारा पाना चाहते थे । तब वे भगवान श्री कृष्ण के पास गए तब भगवान श्री कृष्ण द्वारिका में रहते थे । श्री कृष्ण ने उन्हें एक काली गाय और एक काला झंडा दिया और कहा कि – ” तुम यहां झंडा लेकर गाय के पीछे-पीछे चलना जब झंडा और गाय दोनों सफेद हो जाए तो समझना कि पाप से छुटकारा मिल गया , जहां यह चमत्कार हो वहीं पर भगवान शिव की तपस्या करना । “
कई दिनों तक चलने के बाद पांडव भी समुद्र के पास पहुंचे और झंडा और गाय दोनों सफेद हो गया , तब उन्होंने वहां तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया । पांचों पांडवों को भगवान महादेव ने लिंग के रूप में अलग-अलग दर्शन
दिए वही पांचों शिवलिंग आज तक वहां पर विराजमान है । पांडवों ने यहां अपने पापों से मुक्ति पाई थी इसलिए इस मंदिर को निष्कलंक महादेव मंदिर कहा जाता है ।
अब अंतिम में आता है अंचलेश्वर महादेव मंदिर
राजस्थान के धौलपुर में स्थित यह मंदिर दुर्गम जंगलों में स्थित है । कहते हैं कि इस मंदिर का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग
बदलता है । प्रातः इस शिवलिंग का रंग लाल होता है , दोपर में केसरिया और जैसे-जैसे श्याम होती है इसका रंग सांवला हो जाता है ।
इस शिवलिंग का अनोखी बात यह है कि इस शिवलिंग का नीचे कोई छोर नहीं है ।
तो यह था भगवान शिव का छह रहस्यमय मंदिर ,
हर हर महादेव जय भोलेनाथ